Site icon khabar Sphere

AI Wealth Trap: कैसे AI बना रहा है अमीरों को और अमीर?

AI Wealth Trap: कैसे AI बना रहा है अमीरों को और अमीर?

AI Generated image:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बढ़ेगा अमीरों का दबदबा,

इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलकेणी ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से भविष्य में संपत्ति और ताकत कुछ ही लोगों के पास सिमट जाएगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि समाज को इस टेक्नोलॉजी का उपयोग जरूरी समस्याओं को हल करने से रोकना चाहिए।

AI Wealth Trap: एशिया सोसाइटी के कार्यक्रम में बोले नीलकेणी

एक कार्यक्रम में बोलते हुए नीलकेणी ने कहा, “AI से संपत्ति और शक्ति कुछ लोगों के हाथ में जरूर जाएगी… इसे रोकना मुश्किल है क्योंकि इसमें जो ताकतें काम कर रही हैं, वो हमसे कहीं बड़ी हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिम्मेदार लोगों को इस तकनीक का इस्तेमाल समाजिक और समावेशी बदलावों के लिए करना चाहिए।

Also Read: GPT-5 vs Claude Code: OpenAI ने चोरी की तकनीक से रचा इतिहास या मचा दी मुश्किल?

AI के पीछे भागने के बजाय उसका सही इस्तेमाल करें

नीलकेणी ने कहा कि हमें AI में ग्लोबल लीडर बनने की दौड़ के बजाय इसके प्रैक्टिकल इस्तेमाल पर फोकस करना चाहिए, जिससे पब्लिक की ज़रूरतें पूरी की जा सकें।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम को बताया डिस्टोपियन आइडिया

नीलकेणी ने automation के कारण होने वाली बेरोजगारी से निपटने के लिए Universal Basic Income (UBI) की अवधारणा को भी नकार दिया। उन्होंने कहा, “मैं इस विचार से सहमत नहीं हूं… यह एक डिस्टोपियन सोच है।”

Also Read: GPT-5 Update 2025: GPT-4 को भूल जाइए, असली धमाका अब हुआ है!

AI इंसानों को बेहतर काम करने में मदद करे

उनका मानना है कि AI का उद्देश्य इंसानों की क्षमताएं बढ़ाना होना चाहिए, जिससे लोग ज्यादा अच्छे तरीके से काम कर सकें।

आधार और UPI का उदाहरण देकर समझाया इनोवेशन

नीलकेणी ने आधार और UPI जैसी भारतीय सफलताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे फ्रूगल इनोवेशन से कम लागत में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। उन्होंने चेतावनी भी दी, “अगर हम इनोवेट नहीं करेंगे, तो रिस्क बढ़ेगा और बगावत जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।”

Also Read: SixSense AI Tech: 1 Second में Chip की Quality का पूरा X-Ray! कैसे कर रहा है ये जादू?

कौन हैं नंदन नीलकेणी?

नंदन नीलकेणी बेंगलुरु में जन्मे एक मशहूर एंटरप्रेन्योर हैं, जिन्होंने इंफोसिस की स्थापना की थी। 2009 में उन्होंने कंपनी छोड़ दी थी और भारत सरकार द्वारा शुरू की गई यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के चेयरमैन बने।

उन्होंने ‘आधार कार्ड’ और डिजिटल पेमेंट सिस्टम ‘UPI’ जैसे गेम-चेंजर प्रोजेक्ट्स को भी लीड किया, जिससे देश में तकनीकी क्रांति आई।

-:FAQ:-

Q1: क्या AI से आर्थिक असमानता बढ़ेगी?

Q2: क्या AI नौकरियां खत्म करेगा?

Q3: अमीर ही AI से अमीर क्यों हो रहे हैं?

Q4: क्या सरकारें इसका हल निकाल सकती हैं?

Q5: UBI क्या समाधान है?

-:Letest Post:-

1. GPT-5 vs Claude Code: OpenAI ने चोरी की तकनीक से रचा इतिहास या मचा दी मुश्किल?

Exit mobile version