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ISRO Ex-Chief का खुलासा: दुनिया चाहती है हमारे रॉकेट, पर हम बना नहीं पा रहे

ISRO Ex-Chief का खुलासा
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बेंगलुरु में एडवांस मैन्युफैक्चरिंग समिट के दौरान बड़ा बयान

पूर्व ISRO चीफ एस सोमनाथ ने 5 अगस्त को बेंगलुरु में हुए Accel के Advanced Manufacturing Summit के दौरान बताया कि भारतीय रॉकेट्स की दुनियाभर में भारी मांग है, लेकिन देश में मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी की कमी के चलते इस डिमांड को पूरा नहीं किया जा पा रहा है।

ISRO Ex-Chief का खुलासा: उन्होंने कहा,

  • “इंडियन रॉकेट्स की डिमांड बहुत ज़्यादा है। लेकिन समस्या यह है कि हमारी उत्पादन क्षमता सीमित है।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि स्पेसक्राफ्ट ऐसे प्रोडक्ट्स नहीं होते जिन्हें रेडीमेड बनाकर बेचा जा सके। ये ज़्यादातर कस्टम-बिल्ट होते हैं और इन्हें बड़े पैमाने पर बनाने के लिए भारत के पास अभी भी पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है।

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प्राइवेट स्पेस कंपनियां भी कर रहीं कोशिश

यह बयान ऐसे समय में आया है जब दुनियाभर में कमर्शियल स्पेस इंडस्ट्री तेज़ी से बढ़ रही है। भारत की प्राइवेट कंपनियां जैसे Agnikul और Pixxel भी अंतरराष्ट्रीय लॉन्च और सैटेलाइट मार्केट में एंट्री लेने की कोशिश में हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल का ज़िक्र: पाकिस्तान PM बन गए थे ब्रांड एम्बेसडर?

पैनल डिस्कशन में मौजूद ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व CEO और MD सुधीर मिश्रा ने कहा,

  • “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खुद ब्रह्मोस मिसाइल के ब्रांड एम्बेसडर बन गए। भारत सरकार ने कभी नहीं कहा कि हमने मिसाइल फायर की, लेकिन उन्होंने बार-बार बोला। इससे देश में तकनीक को बहुत बढ़ावा मिला।”

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ISRO के पास ही है फाइनल असेंबली की ताकत

सोमनाथ ने यह भी कहा कि भारत में रॉकेट इंजन बनाने के लिए आज भी हमें Godrej जैसी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन वे पूरा सिस्टम अकेले नहीं बना सकतीं। फाइनल असेंबली आज भी ISRO के पास ही होती है।

भारत में डिज़ाइन है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में अनुभव की कमी

सोमनाथ ने यह भी कहा कि भारत में अच्छे डिज़ाइनर्स हैं, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग, टूलिंग, प्रोसेसेज़, थर्मल डिज़ाइन और मटेरियल्स की जानकारी रखने वाले लोग कम हैं।

कर्नाटक में Foxconn और Lam जैसी कंपनियां सेटअप कर रहीं प्लांट

कर्नाटक की इंडस्ट्रीज़ एंड कॉमर्स कमिश्नर गुंजन कृष्णा ने कहा कि कई मल्टीनेशनल कंपनियां भारत में कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर चुकी हैं। लेकिन अभी भी इकोसिस्टम अधूरा है।

उन्होंने कहा,

  • “असेंबली हो रही है, लेकिन हम अभी भी डीप लेवल कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग लाने की कोशिश कर रहे हैं।”

 

-:FAQ:-

Q1. भारत के रॉकेट की इतनी डिमांड क्यों है?

  • उत्तर: क्योंकि ये सस्ते, भरोसेमंद और समय पर लॉन्च होते हैं।

Q2. क्या भारत विदेशी कंपनियों के लिए रॉकेट बना रहा है?

  • उत्तर: हां, ISRO और भारतीय स्टार्टअप्स अब ग्लोबल मार्केट में काम कर रहे हैं।

Q3. ISRO का रॉकेट कौन-कौन से देश इस्तेमाल करते हैं?

  • उत्तर: अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कई देश।

Q4. क्या भारत स्पेस मैन्युफैक्चरिंग में आगे बढ़ रहा है?

  • उत्तर: हां, कई निजी कंपनियाँ इस क्षेत्र में तेजी से उभर रही हैं।

Q5. ISRO प्राइवेट कंपनियों को कैसे मदद कर रहा है?

  • उत्तर: टेक्नोलॉजी, लॉन्च सुविधा और इंफ्रास्ट्रक्चर शेयर कर के।

 

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