“Smart Cities 2.0: मिशन खत्म, अब नई भूमिका में लौटेंगे SPVs!”

2015 में शुरू हुई Smart Cities Mission,
(SCM) ने भारत के शहरी विकास की दिशा को नई पहचान दी। 100 चुने गए शहरों में Special Purpose Vehicles (SPVs) की स्थापना Companies Act, 2013 के तहत की गई थी, जिसमें राज्य सरकार और शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies – ULBs) की बराबर हिस्सेदारी थी।
अब जब यह मिशन 31 मार्च 2025 को समाप्त हो गया है और 93% से अधिक प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं, केंद्र सरकार ने यह तय किया है कि इन SPVs और Integrated Command and Control Centres (ICCCs) को पूरी तरह बंद नहीं किया जाएगा। बल्कि इन्हें नए उद्देश्य के लिए Repurpose किया जाएगा।
Smart Cities 2.0,
Mission की बड़ी उपलब्धियाँ:
🔹 8,000 से अधिक प्रोजेक्ट्स में से 93% पूर्ण
🔹 ₹48,000 करोड़ के बजट में से 99.44% फंड जारी
🔹 सभी 100 शहरों में ICCCs स्थापित, जो अब Urban Governance के डिजिटल nerve centres बन चुके हैं
अब आगे क्या? SPVs के लिए 5 नए रोल
Union Housing and Urban Affairs Ministry ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें SPVs के लिए 5 प्रमुख नए कार्यक्षेत्र तय किए गए हैं:
1. Technology Support
Sp, ULBs को cyber hygiene, analytics, और data systems के प्रबंधन में सहयोग करेंगे।
ICCCs को शहर के Digital Operating Systems और राज्यों के Analytics Hubs के रूप में उपयोग किया जाएगा।
2. Project Implementation
SPVs को केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के Implementation Agencies के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जाएगी।
वे Project Implementation Charge (1.5% – 3%) भी ले सकेंगे।
3. Consulting Support
SPVs अपने अनुभव और क्षमता का उपयोग करते हुए शहरी विकास से जुड़े क्षेत्रों में Consultancy Services दे सकते हैं।
4. Research & Assessment
SPVs Urban Data-based Planning, Incubation Hubs, और Startup Ecosystem को बढ़ावा देंगे।
5. Investment Facilitation
SPVs को City-level Economic Development को बढ़ावा देने, Procurement, और Multi-tier Coordination में सहायक बनाया जाएगा।
आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम:
मंत्रालय ने राज्यों से आग्रह किया है कि SPVs को ऐसी नीतियों से सशक्त करें जिससे वे विभिन्न योजनाओं की Planning, Design, Implementation आदि सेवाओं के लिए एक तय Fee (Centage) वसूल सकें। इससे SPVs को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और ऑपरेशनल रूप से स्वतंत्र बनाया जा सकेगा।
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